झूम

सर पटकती लहरोंं से पूछ 
बेदर्द किनारों का सबब,
टूटते किनारों से पूछ
सब्र का हलफ़।
आह भरती हवा
झकझोरती जब शाखों को,
दरख्तो से सीख
तूफ़ा में झूमने की ललक।
दर्दे दरिया मान कर
जिंदगी को नापने वाले,
गिले शिकवों में भी
तो है
मुहब्बत की झलक।

मीनल

April 10, 2022 (Somatheeram)